उसका नाम है अज्ञान
उसे धर दबोचो, मजबूत पकड़कर पीटो
और उसे जीवन से भगा दो
ज्योतिष पंचाग हस्तरेखा में पड़े मूर्ख
स्वर्ग नरक की कल्पना में रूचि
पशु जीवन में भी
ऐसे भ्रम के लिए कोईस्थान नहीं
पत्नी बेचारी काम करती रहे
मुफ्तखोर बेशर्म खाता रहे
पशुओं में भी ऐसा अजूबा नहीं
उसे कैसे इन्सान कहे?
शूद्र और अति शूद्र
अज्ञान की वजह से पिछड़े
देव धर्म, रीति रिवाज़, अर्चना के कारण
अभावों से गिरकर में कंगाल हुए-
दो हजार साल पुराना
शूद्रों से जुड़ा है एक दुख
ब्राह्मणों की सेवा की आज्ञा देकर
झूठे मक्कार स्वयं घोषित
भू देवताओं ने पछाड़ा है।-
हल जो चलावे, खेती जी करे
वे मूर्ख होते है, कहे मनु ।
मत करो खेती कहे मनुस्मृति
धर्माज्ञा की करे घोषणा, ब्राह्मणों की।
~ सावित्री बाई फुले, काव्यफूल